Hasya Kahani | Funny Kahani
Today I am sharing this blog of Hasya Kahani with all of you, which is quite valuable for every child. These moral stories will help a lot in understanding the society of children, so that they can become a good person. If you like this story, then do share it with other people.
आज मै आप सभी से नैतिक कहानियों का यह ब्लॉग साझा कर रहा हु जो काफी मुल्यवान है, |यह नैतिक कहानिए बच्चों के समाज को समझने मे काफी मदद करेगा ,जिससे वह एक अच्छा इंसान बन सके |अगर आपको यह कहानिया अच्छी लगे तो अन्य लोगों से जरूर साझा करे
1. कवि डाकू - Hasya Kahani
एक कवि गरीबी से तंग आके डाकू बन गया .
डकैती करने वो बैंक गया और जाके सबके ऊपर पिस्तौल तान दिया और बोला
“अर्ज़ किया है …
तकदीर में जो हैं , वोही मिलेगा
तकदीर में जो है, वोही मिलेगा
..
..
हैंड्स उप ! अपनी जगह से कोई नहीं हिलेगा !!”
केशियर के पास जाके कहता है -
“अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
अपने कुछ ख़्वाब मेरी आँखों से निकाल लो
..
..
जो कुछ भी तुम्हारे पास है जल्दी से इस बैग में डाल दो !!
जब वो बैंक लूट चूका था तो जाते जाते बोल के जाता है -
“भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
भुला दे मुझे , क्या जाता है तेरा
..
..
मैं गोली मार दूंगा जो किसी ने पीछा किया मेरा !! “
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2. विष्णु जी को ख़त -Hasya Kahani
एक बच्चे को साइकिल चाहिए थी . उसके मा बाप ने मना कर दिया तो वो उदास हो गया . फिर उसके दीमाग में एक ख्याल आया की क्यू नहीं वो भगवान् से साइकिल के पैसे मांग ले .
उसने एक लैटर लिखा और डाक खाने के डब्बे मैं दाल दिया .
“क्षीर सागर
वैकुण्ठ धाम
विष्णु जी को मेरा प्रणाम !
यु तो आपका दिया सबकुछ है
बस एक साइकिल की कमी है !!
अगर आप ५००० हज़ार भिजवा दे तो भक्त पर बड़ी कृपा होगी
आपका - बंटी
जब डाक विभाग वालो को ये पत्र मिला तो उनको बहुत दुःख हुआ. सबने चंदा इकठ्ठा किया और चार हज़ार रूपये जमा कर उस लड़के को मनी आर्डर भिजवा दिया .
मनी आर्डर पाकर लड़का बहुत खुश हुआ .
एक हफ्ते बाद उसने फिर से एक पत्र लिखा - विष्णु जी के नाम .
“क्षीर सागर
वैकुण्ठ धाम
विष्णु जी को मेरा प्रणाम !
भगवन ! आपके भेजे हुए पैसे मिल गए , बहुत धन्यवाद्.
वैसे आपने तो पुरे पांच हज़ार भेजे होंगे , पर बेडा गर्क हो इन डाक विभाग वालों का . सालों ने हज़ार रूपये डकार लिए .
आपका - बंटी !
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3. मरवा दिया पठान ने - Hasya Kahani
पठान अपनी बैलगाडी में अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था। अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे में उसकी गाड़ी पलट गई। पठान गाड़ी को सीधी करने की कोशिश करने लगा। थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे एक राहगीर ने यह देखकर आवाज़ दी, "अरे भाई, परेशान मत हो, आ जाओ मेरे साथ पहले खाना खा लो फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करवा दूंगा।"
पठान: धन्यवाद, पर मैं अभी नहीं आ सकता। मेरा दोस्त बशीर नाराज़ हो जायेगा।
राहगीर: अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी गाड़ी। तू आजा खाना खा ले फिर हम दोनों उठाएंगे।
पठान: नहीं, बशीर बहुत गुस्सा हो जायेगा।
राहगीर: अरे मान भी जाओ। आ जाओ तुम मेरे पास।
पठान: ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता हूँ।
पठान ने जमकर खाना खाया फिर बोला, "अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास और आप भी चलिए। बशीर गुस्सा हो रहा होगा।"
राहगीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "चलो पर तुम इतना डर क्यों रहे हो? वैसे अभी कहाँ होगा बशीर?"
पठान: गाड़ी के नीचे दबा हुआ है ।
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4. इनामी रकम - Funny Kahani
चंदू लाल को तैरना नहीं आता था . उन्होंने कसम ली थी की जब तक वो ठीक से तैरना नहीं सीख जायेंगे - पानी में कदम नहीं रखेंगे .
सावन का दिन था, गंगा नदी खूब उफान पर थी .
चंदू लाल के मित्र मटकानाथ ब्रम्हचारी ने कहा - “चलो चंदुलाल तुमको तैरना सीखा दे . “
चंदुलाल ने कहा - “मैंने कसम की है, जब तक तैरना नहीं आये मैं पानी में पैर भी नहीं रखूँगा ”
“अरे ! ऐसा भी क्या हो सकता है , बिना पानी में उतरे तुम तैरना नहीं सीख सकते ”, मटकानाथ ब्रम्हचारी ने कहा - “अब जिद्द छोडो और चलो गंगा जी में “.
चंदुलाल को लेकर मटकानाथ ब्रम्हचारी गंगा जी पहुच कर बोले - “वो बोर्ड देखो - डूबते को बचाने वाले को पांच सौ रूपये का इनाम - आज्ञा से जिल्लाअधिकारी ”
“अब तुम नदी में उतरो और जोर जोर से चिल्लाना - बचाओ बचाओ - मैं आके तुमको बाहर निकाल लूँगा - और दोनों लोग इनाम की रकम बांट लेंगे ”
चंदुलाल को आईडिया पसंद आया - वो उतर गए पानी में . घुटने तक पानी मैं जाते ही जोर जोर से चिल्लाने लगे “अरे डूब गया ! बचाओ बचाओ ”
मटकानाथ ब्रम्हचारी ने आँखे दिखाते हुए कहा - “अबे चुप कर ! कोई घुटने तक पानी में डूबता हैं क्या ? अरे और आगे जाओ - इनाम की रकम नहीं चाहिए क्या !?”
चंदुलाल डरते डरते आगे बढे और गले तक पानी हो जाने पर फिर से चिल्लाने लगे .
मटकानाथ ब्रम्हचारी ने आँखे तरेरी और कहा - “और आगे !! मैं हूँ ना - क्यू डरते हो ”
इस तरह दो तीन बार हुआ और चंदूलाल पानी में बहुत आगे चले गए और सचमुच में डूबने लगे !!
“अरे मैं सच … में … (गुड गुड ) … डूब रहा हु … बचाओ … ”
मटकानाथ ब्रम्हचारी ने कुछ नहीं कहा और नदी के किनारे मुस्कराते रहे .
अब चंदूलाल की सांस छूटने लगी … जोर जोर से चिल्लाया - “अरे कमीने ! क्या कर रहा है … जल्दी … बचाओ … क्या तुम्हे पांच सौ रूपये नहीं चाहिये … !!??”
मटकानाथ ब्रम्हचारी ने उंगली से इशारा किया - पहले वाले बोर्ड के दुसरे तरफ एक और बोर्ड लगा था .. उसपर लिखा था -
“तैरती लाश को निकलने वाले को इनाम एक हज़ार - आज्ञा से जिल्लाअधिकारी”
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5. कबीर के आधुनिक दोहे - Funny Kahani
यदि कबीर जिन्दा होते तो आजकल के दोहे यह होते:
नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात;
बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात;
पानी आँखों का मरा, मरी शर्म औ लाज;
कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज;
भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास;
बहन पराई हो गयी, साली खासमखास;
मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश;
बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश;
बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान;
पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान;
पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग;
मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग;
फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर;
पापी करते जागरण, मचा-मचा कर शोर;
पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप;
भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप।
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6.स्कूल का निरिक्षण - इंग्लिश विन्ग्लिश -Funny Kahani
एक सरकारी स्कूल का इंस्पेक्शन करने शिक्षा अधिकारी आये हुए थे .
एक क्लास में गए और ब्लाक्बोर्ड पर लिखा “NATURE” (इसे नेचर पढ़ते हैं ) और बच्चो से पूछा - बच्चो क्या तुम लोग इससे पढ़ सकते हो !
सारे के सारे बच्चो नो हाँथ खड़ा कर दिया - सर मैं ! सर मैं ! - कह के उठने लगे .
शिक्षा अधिकारी को बहुत अच्छा लगा - वो बहुत इम्प्रेस हुए . एक बच्चे से पुछा, लड़के ने बोला - सर ये हैं नटूरे !
शिक्षा अधिकारी भौचक्के हो गए और दुसरे लड़के से पूछा , फिर तीसरे , चौथे … सबने कहा - नटूरे !
शिक्षा अधिकारी गुस्सा के आग बबूला हो गए - मास्टर साहब ये क्या उल्टा सीधा पढ़ा रखा है !! ये सब नेचर को नटूरे बोल रहे हैं !!
मास्टर साहब - अरे जनाब ! बच्चे है - मटूरे नहीं हुए हैं , जब मटूरे हो जायेंगे तब सीख जायेंगे !
(मास्टर साहब MATURE मेच्योर को मटूरे कह रहे थे )
शिक्षा अधिकारी गुस्से से वहा से निकले और सीधे पहुच गए प्रिंसिपल साहब के ऑफिस में .
“प्रिंसिपल साहब ! क्या पढाई हो रही है? बच्चे नेचर को नटूरे पढ़ते हैं और मास्टर साहब मेच्योर को मटूरे कह रहे हैं ”
प्रिंसिपल साहब - “अरे जाने दे जनाब ! आपको क्यू परेशान होते हैं .. आप आराम से रेस्ट हाउस में जाए ! ये सब अपना फटुरे बिगाड़ रहे हैं - हमरा फटुरे नहीं !! “
(प्रिंसिपल साहब FUTURE फ्यूचर को फटुरे कह रहे थे )
शिक्षा अधिकारी जोर से चिल्लाये - “अगर ऊपर वालों का प्रेस्युरे नहीं होता तो मैं इस स्कूल को बंद करा देता ”
(शिक्षा अधिकारी PRESSURE प्रेशर को प्रेस्युरे कह रहे थे )
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7. स्कूल का निरिक्षण - डबल रोले -Funny Kahani
एक सरकारी स्कूल का इंस्पेक्शन करने शिक्षा अधिकारी आये हुए थे .
एक क्लास में आए और बच्चो से पूछा - “इस क्लास में कौन छात्र एग्जाम में फर्स्ट आया था ?”
मोहन ने हाँथ उठाया .
शिक्षा अधिकारी - “वैरी गुड .. और सेकंड कौन आया था ?”
मोहन ने फिर से हाँथ उठाया .
शिक्षा अधिकारी - “अरे ! एग्जाम में फर्स्ट भी तुम ही आये और सेकंड भी तुम्ही आये ! ये कैसे हो सकता है?”
मोहन - “दरसल सर ! फर्स्ट तो राम आया था , पर वो बगल के गाँव में T20 क्रिकेट मैच देखने गया हैं, इस लिए आज स्कूल नहीं आया . मैं उसके दरपर अटेंडेंस दे रहा हूँ . “
शिक्षा अधिकारी आग बबूला हो गए और क्लास टीचर से बोले -”ये क्या मास्टर साहब ! आपके क्लास में क्या हो रहा हैं?”
मास्टर साहब बोले - “दरसल सर ! मैं तो दुसरे क्लास का क्लास टीचर हूँ . इस क्लास के क्लास टीचर बगल के गाँव में T20 क्रिकेट मैच देखने गए हैं, इस लिए आज स्कूल नहीं आये . मैं उसके दरपर ड्यूटी दे रहा हूँ . “
शिक्षा अधिकारी गुस्से से वहा से निकले और सीधे पहुच गए प्रिंसिपल साहब के ऑफिस में .
“प्रिंसिपल साहब ! क्या चल रहा हैं ? क्लास के लड़के एक दुसरे के जगह अटेंडेंस दे रहे हैं . क्लास टीचर एक दुसरे के दर पर ड्यूटी कर रहे हैं ???”
प्रिंसिपल साहब - “दरसल सर ! मैं तो वाइस प्रिंसिपल हूँ . इस स्कूल के प्रिंसिपल बगल के गाँव में T20 क्रिकेट मैच देखने गए हैं, इस लिए आज स्कूल नहीं आये . मैं उसके दरपर ड्यूटी दे रहा हूँ . “
शिक्षा अधिकारी बडबडाते हुए जाने लगे - “मैं तो सख्त कार्यवाही करता लेकिन इस जिले के शिक्षा अधिकारी बगल के गाँव में T20 क्रिकेट मैच देखने गए हैं, मैं तो दुसरे जिले का शिक्षा अधिकारी हूँ .. मुझसे क्या मतलब …”
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8.स्कूल का निरिक्षण - शिव जी का धनुष - Funny Kahani
रामायण के अनुसार सदियों पहले श्री राम ने सीता स्वयंबर के दौरान शिव जी का धनुष तोडा था, जो जनक राज के पास था.
एक सरकारी स्कूल का इंस्पेक्शन करने शिक्षा अधिकारी आये हुए थे .
एक क्लास में आए और बच्चो से पूछा - “बच्चो ये बताओ की शिव जी का धनुष किसने तोडा ?”
सभी बच्चे बगली झाकने लगे. शिक्षा अधिकारी को बड़ा आश्चर्य हुआ . आठवी क्लास के छात्र और इतना आसान सा जवाब नहीं दे सकते .
“तुम बताओ !” - एक बच्चे से बोला .
डरते डरते वो खड़ा हुआ - “सर जी ! वो क्या हैं ना … मैंने नहीं तोडा … कसम से मैंने तो शिव जी का धनुष देखा भी नहीं है ...”
शिक्षा अधिकारी बिलबिला कर एक और लड़के को खड़ा किया वो बोला - “सर मैंने भी नहीं तोडा .. आप क्लास मॉनिटर मोहन से पूछ ले … मैं तो बीमार था कई दिनों से ...”
क्लास मॉनिटर मोहन डरते डरते खड़ा हुआ और बोला - “सर ! वो क्या हैं ना .. इस क्लास में सबसे बदमाश भूरे लाल है … मुझे पक्का यकीन हैं की भूरे लाल ने ही शिव का धनुष तोडा होगा ..आज वो स्कूल आया भी नहीं इस लिए ”
शिक्षा अधिकारी गुस्से से मास्टर साहब से बोले - “क्या मास्टर साहब ! कोई बता नहीं पा रहा है की शिव जी का धनुष किसने तोडा? “
मास्टर साहब डरते हुए बोले - “सर जी ! जाने दे अभी नादान बच्चे है ! मुझे भी लगता है शिव का धनुष भूरे लाल ने ही तोडा होगा . वो बहुत शैतान हैं !”
शिक्षा अधिकारी गुस्से से वहा से निकले और सीधे पहुच गए प्रिंसिपल साहब के ऑफिस में .
“प्रिंसिपल साहब ! क्या चल रहा हैं ? बच्चो से पूछा की शिव जी का धनुष किसने तोडा - तो वो कहते हैं की भूरे लाल ने तोडा - और तो और मास्टर साहब को भी नहीं पता और वो कहते हैं जाने दीजिये भूरे लाल ने ही तोडा होगा !!”
प्रिंसिपल साहब - “अरे सरजी जाने दे ! अभी बच्चे है - माफ़ करदे !! मुझे बताये की कितने रूपये का धनुष था , मैं नुक्सान की भरपाई कर देता हूँ .”
शिक्षा अधिकारी बेहोश हो गए !
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9. स्कूल का निरिक्षण - Funny Kahani
एक सरकारी स्कूल का इंस्पेक्शन करने शिक्षा अधिकारी आये हुए थे .
एक क्लास में गए तो वह इंग्लिश का पीरियड चल रहा था . एक बच्चे को खड़ा कर के पूछा - “तुमको इंग्लिश आती हैं ?”
शिक्षा अधिकारी - “व्हाट इज योर नेम ?”
छात्र - “सर ! माय नेम इज सन लाइट . “
शिक्षा अधिकारी - “क्या बक रहे हो?”
छात्र - “सर दरसल मेरा नाम है सूर्य प्रकाश - इस लिए इंग्लिश में सन लाइट .”
शिक्षा अधिकारी - “व्हाट इज योर फादर्स नेम ?”
छात्र - “सर ! माय फादर्स नेम इज लाइफ़बॉय . “
शिक्षा अधिकारी - “क्या बक रहे हो?”
छात्र - “सर दरसल उनका नाम बाल जीवन है - इस लिए इंग्लिश में लाइफ़बॉय .“
शिक्षा अधिकारी - “शांत रह बेवकूफ .. अब कन्वर्सेशन बताओ - एक लड़की सड़क के उस पार खडी हैं , उसको अपने पास कैसे बुलाओगे ? इंग्लिश में बताओ .”
छात्र - “सर ! मैं उसको बोलूँगा - प्लीज कम हियर . “
शिक्षा अधिकारी - “वैरी गुड ! अब माना वो लड़की सड़क के इस पार आ गयी - बताओ की उसको वापस उस पार भेजने के लिए क्या कहोगे ? इंग्लिश में बताओ .”
छात्र - “सर ! ये तो बहुत आसान सवाल हुआ … मैं सड़क के उस पार जाऊँगा और बोलूँगा - प्लीज कम हियर . “
शिक्षा अधिकारी बेहोश !!
10. हमारे पंजाब में - Funny Kahani
सरदार जी पहली बार अपने लड़के मोंटी को स्कूटर पर घुमाने निकले .
रास्ते मैं अंगूर दिखा .
मोंटी चिल्लाया - पापा पापा !! अंगूर खाना हैं !
सरदार जी - हुह ! हमारे पंजाब में तो बड्डे बड्डे अंगूर मिलते हैं ! ये तो अंगूरी हैं अंगूरी !
और आगे बढ़ गए .
रास्ते मैं सेब दिखा .
मोंटी चिल्लाया - पापा पापा !! सेब खाना हैं !
सरदार जी - हुह ! हमारे पंजाब में तो बड्डे बड्डे सेब मिलते हैं ! ये तो सेबी हैं सेबी !
और आगे बढ़ गए .
रास्ते मैं केला दिखा .
मोंटी चिल्लाया - पापा पापा !! केला खाना हैं !
सरदार जी - हुह ! हमारे पंजाब में तो बड्डे बड्डे केला मिलते हैं ! ये तो केली हैं केली !
और आगे बढ़ गए .
रास्ते मैं समोसा दिखा .
मोंटी चिल्लाया - पापा पापा !! समोसा खाना हैं !
सरदार जी - हुह ! हमारे पंजाब में तो बड्डे बड्डे समोसा मिलते हैं ! ये तो समोसी हैं समोसी !
करते करते वो मोंटी तो लेकर वापस आ गए और कुछ भी नहीं लिया .
मोंटी का गुस्सा सातवे आसमान पर था .
माँ ने पूछा - पापा के साथ घुमने मैं मज़ा आया मोंटी ??
मोंटी ने कहा - हुह ! हमारे पंजाब में तो बड्डे बड्डे पापा मिलते हैं ! ये तो पापी हैं पापी !!!
11. रेस्टोरेंट में - डीप फ्राइड - Funny Kahani
एक चाइनिज जिसे हिंदी या इंग्लिश ठीक से नहीं आती थी इंडिया आया और एक रेस्टोरेंट में गया .
वेटर मेनू ले के आया और उसे दिया .
उसने मेनू देखा और एक नाम के उंगली रख के बोला - “दिस … दिस … डीप फ्राइड … डीप फ्राइड … फ़ास्ट “
वेटर ने सर खुजाया और बोला - “सर कुछ और आर्डर करे … ये हम नहीं दे सकते “
चाइनिज - “नो … दिस .. दिस .. डीप फ्राइड … डीप फ्राइड …”
वेटर - “सॉरी … कुछ और आर्डर करे “
चाइनिज - “यु इंडियन !! ओनली दिस … फ़ास्ट फ़ास्ट …”
कुछ देर से चल रहे इस सिलसिले को देख कर रेस्टोरेंट का मेनेजर आ गया और वेटर से बोला - “अरे क्या बहस करते हो .. दे दो ना जो मांग रहा हैं “
वेटर बोला - “मेनेजर सर ! वो मेनू के नीचे लिखे आपके नाम पर ऊँगली रख के मांग रहा है - डीप फ्राइड - बोले तो दे दू ? “
12. हिम्मत - Hasya Kahani
मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र साथ में पिकनिक मनाने वाटरफाल पर गए . वाटरफाल का पानी बहुत ठंडा था .
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल से कहा - मेरे छात्र बहुत हिम्मती हैं .
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा - कैसे ? सिद्ध करो ..
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने कुछ छात्रो को बुलाया और आदेश दिया - जल्दी से ठन्डे पानी में जम्प लगाओ .
छात्रो ने आव देखा ना ताव और कूद गए …
मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल से कहा - देखा !! कितने हिम्मती हैं !
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा - बस इतनी सी बात ! मैं दिखता हूँ मेरे छात्र कितने हिम्मती हैं ..
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल ने कुछ इंजीनियरिंग के छात्रो को बुलाया और आदेश दिया - जल्दी से ठन्डे पानी में जम्प लगाओ .
इंजीनियरिंग के छात्रो ने कहा - पगला गए हो बढ़उ !! इतने ठन्डे पानी में जम्प करे !! चल हट !!
इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा - देखा कितने हिम्मती हैं !!!
13. स्वर्ग का द्वार -Hasya Kahani
स्वर्ग के द्वार पर बहुत भीड़ इकठ्ठा हो गयी थी . चित्र गुप्त को बुलाया गया .. चित्र गुप्त ने कहा की हमारे पास बस 3 लक्ज़री सुइट्स बचे हैं … जिसके मरने की कहानी सबसे रोचक होगी वोही अन्दर जाएगा .
पहला आदमी आया - वो मोटा सा अधेड़ उम्र का था और सूट बूट पहने हुए था .
चित्रगुप्त ने पूछा - “तुम कैसे मरे ?”
पहला आदमी - “मैं एक बिजनेसमैन हूँ ! मैंने पिछले साल एक खूबसूरत और जवान लड़की से शादी की .
मैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ , मुझे शक था की मेरी पत्नी का अपने बॉयफ्रेंड के साथ चक्कर है .
मेरा अपार्टमेंट दस मंजिले का हैं और मैं पांचवी मंजिल पर रहता हूँ .
आज सुबह मैंने एक आदमी को मेरे घर में आते देख लिया . मैंने एक्स्ट्रा चाभी से घर में घुसा और बेडरूम में गया . अपनी पत्नी की स्थिति देखकर मेरा शक यकीन में बदल गया . बस मैं उस आदमी को मारने के लिए ढूँढने लगा . मैंने पूरा घर छान मारा पर वो नहीं मिला , तभी मैंने देखा की वो अंडरवियर में मेरे बालकनी के रेलिंग से लटका हुआ है .. मैं दौड़ के उसका हाँथ छुड़ाने लगा ताकि वो नीचे गिर के मर जाए … लेकिन वो कमीना बड़ा सख्त जान निकला ..
वो हाँथ छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था .
मैं दौड़ के एक हथौड़ी ले आया और उसके हाँथ पर मारने लगा .
इस बार उसका हाँथ छुट गया और वो पांच मंजिल नीचे जा गिरा .
लेकिन मैंने देखा की वो लॉन पर गिरने की वजह से मरा नहीं है ..
मैं दौड़ के घर का फ्रीज उठा लाया और उसके ऊपर फेंक दिया … फ्रीज उसके ऊपर गिरा और चकना चूर हो गया …
लेकिन वो अभी भी जिंदा था …
मुझे कुछ समझ नहीं आया और मैं भी ऊपर से कूद गया उसके ऊपर …
पता नहीं क्या हुआ ? मैं तो मर कर यहाँ आ गया …”
चित्रगुप्त ने कहा - “तुम्हारी कहानी इंट्रेस्टिंग है .. अन्दर आ जाओ … नेक्स्ट !!”
दूसरा आदमी जो जवान और गठीला था आया - वो सिर्फ अंडरवियर में था .
चित्रगुप्त ने पूछा - “तुम कैसे मरे ?”
दूसरा आदमी - “मैं एक स्पोर्ट्समैन हूँ .. मेरा अपार्टमेंट दस मंजिले का हैं और मैं दसवीं मंजिल पर रहता हूँ .
आज सुबह मैं बालकनी में कसरत कर रहा था की किसी तरह से नीचे गिर गया “
चित्रगुप्त ने पूछा - “और तुम गिर के मर गए ?”
दूसरा आदमी - “नहीं ! गिरते वक़्त मैंने किसी नीचे वाली मंजिल के बालकनी की रेलिंग पकड़ ली . अभी मैं ऊपर चड़ने की कोशिश कर ही रहा था की एक मोटा आदमी आया और मुझे बचाने की बजाय उल्टा मेरा हाँथ रेलिंग से छुड़ाने लगा .. “
चित्रगुप्त ने पूछा - “और तुम गिर के मर गए ?”
दूसरा आदमी - “नहीं ! मैंने कैसे भी करके अपना पकड़ बनाये रख्खा .. तभी वो कही से हथौड़ी ले के आया और मेरे हाँथ पर ताबड़तोड़ हमला करने लगा … “
चित्रगुप्त ने पूछा - “और तुम गिर के मर गए ?”
दूसरा आदमी - “नहीं ! मैं नीचे लॉन पर गिरा .. कुछ हड्डियाँ टूटी होंगी पर मरा नहीं … तभी वो पागल आदमी कही से फ्रीज उठा लगा और बालकनी से मेरे ऊपर फेंक दिया …”
चित्रगुप्त ने पूछा - “और तुम दब के मर गए ?”
दूसरा आदमी - “नहीं ! मैं फिर भी जिंदा था … तब तक मोटे आदमी को क्या सुझा और वो खुद ही मेरे ऊपर कूद गया … “
चित्रगुप्त ने पूछा - “और तुम मर गए ?”
दूसरा आदमी - “ हाँ .. लेकिन वो मोटा भी नहीं बचा होगा … “
चित्रगुप्त ने कहा - “तुम्हारी कहानी इंट्रेस्टिंग है .. अन्दर जाओ , बड़ा मज़ा आएगा … नेक्स्ट !!”
तीसरा आदमी जो जवान पर हल्का फुल्का था वही खड़ा था और सबकी बाते बड़े ध्यान से सुन रहा था आगे बढ़ा.
चित्रगुप्त ने पूछा - “और तुम मर गए ?”
तीसरा आदमी नीचे निगाहें किये हुए - “वो बात ये हैं ना … मैं वो … फ्रीज के अन्दर छुपा हुआ था … “
14. काला बकरा और सफ़ेद बकरा -Hasya Kahani
एक टीवी चैनल का रिपोर्टर किसी दूर दराज़ के गाँव गया एक न्यूज़ का फिल्म बनाने. उसने तय किया की वो एक गरीब चरवाहे की स्टोरी बनाएगा और उसका इंटरव्यू लेगा ..
गाँव में खोजा तो उसे सबने हकीरा का इंटरव्यू लेने को कहा , हकीरा का पास दो बकरे थे - एक काला और एक सफ़ेद …
रिपोर्टर - तो हकीरा जी ! आप अपने बकरे को कहा चराते है …
हकीरा - किस बकरे को ? सफ़ेद वाले को की काले वाले को ?
रिपोर्टर - ऐसा हैं ! तो सफ़ेद वाले का बताओ
हकीरा - उसे मैं पहाड़ी के उस पार चराता हूँ
रिपोर्टर - और काले वाले को ?
हकीरा - उसे भी वही चराता हूँ
रिपोर्टर - आप अपने बकरे को रात में कहा सुलाते है ?
हकीरा - किस बकरे को ? सफ़ेद वाले को की काले वाले को ?
रिपोर्टर - सफ़ेद वाले को
हकीरा - उसे मैं बाहर सुलाता हूँ
रिपोर्टर - और काले वाले को ?
हकीरा - उसे भी वही सुलाता हूँ , बाहर .
रिपोर्टर - अच्छा ! … और आप अपने बकरे को क्या खिलाते है ?
हकीरा - किस बकरे को ? सफ़ेद वाले को की काले वाले को ?
रिपोर्टर (खीजते हुए ) - सफ़ेद वाले को
हकीरा - उसे मैं चना के छिलके का चारा खिलाता हूँ
रिपोर्टर - और काले वाले को !?
हकीरा - उसे भी वही खिलाता हूँ
रिपोर्टर को बहुत गुस्सा आया - अबे साले !! जब दोनों को एक ही जगह चराते हो , एक ही जगह सुलाते हो और एक सा खिलाते हो तो ये काला सफ़ेद - काला सफ़ेद क्या लगा रखा है !???
हकीरा - जनाब ! … (गला साफ़ करते हुए ) … बात ऐसी है की सफ़ेद वाला बकरा मेरा हैं ..
रिपोर्टर - और काला वाला किसका है !?
हकीरा - वो भी मेरा ही है …
रिपोर्टर ने कुए में छलांग लगा ली ..
15. नकली नोट - Hasya Kahani
एक आदमी नकली नोट छपता था . एक दिन गलती से उसने पंद्रह रूपये की एक नोट छाप दी.. अब पंद्रह रूपये की नोट आती तो हैं नहीं ..
उसने बहुत सोचा - “शहर में तो सब समझदार लोग होते हैं . अगर ये नोट यहाँ चलाने गया तो मैं पकड़ा जाऊंगा. हाँ अगर किसी दूर दराज़ के गाँव में गया तो शायद ये चल जाए .. “
ये सोच कर वो बहुत दूर बसे एक छोटे से गाँव में गया ..
उसने देखा की लोहार लोहे की धौकनी में काम कर रहा हैं ..
उसने लोहार से कहा - “अरे भाई ! मेरे एक नोट का छुट्टा करा दो .. “
ये कहके उसने पंद्रह रुपये का नोट आगे बढ़ा दिया …
लोहार ने अपना हाँथ पोंछा और नोट को पकड़ कर देखने लगा … साथ ही साथ उसने नोट छापने वाले को भी एक नज़र देखा ..
उस आदमी की तो हलक सुख गयी … उसे लगा “लगता है लोहार ने पकड़ लिया …”
लोहार बोला - “भाई जी ! मेरे पास पंद्रह रूपये शायद ना हो .. मैं चौदह रूपये दे सकता हूँ “
नोट छापने वाले ने सोचा - “अरे चलो मेरा क्या जाता है .. चौदह ही सही"
उसने लोहार से कहा - “अब पंद्रह मिलते तो अच्छा होता .. पर लाईये चौदह ही दें दें ..”
लोहार अन्दर गया और बहार आके उसको पैसे पकड़ा दिए …
उस आदमी ने गिनना चाहा तो देखा - दो सात रूपये के नोट हैं …
बिना कुछ कहे वो वह से चला गया …
16. शैतान पप्पू -Hasya Kahani
एक बार एक एक बुज़ुर्ग आदमी ने देखा कि पप्पू घर के दरवाज़े पर लगी घंटी बजाने कि कोशिश कर रहा होता परन्तु उसका हाथ घंटी तक नहीं पहुँच पा रहा होता है, यह देख बुज़ुर्ग आदमी पप्पू के पास गया और उस से पूछा, "क्या हुआ बेटा?"
पप्पू: कुछ नहीं मुझे यह घंटी बजानी है पर मेरा हाथ नहीं पहुँच रहा तो क्या आप मेरे लिए ये घंटी बजा देंगे?
यह सुन बूढ़ा आदमी तुरंत हाँ कर देता है और घंटी बजा देता है, और घंटी बजाने के बाद पप्पू से पूछता है, "और बताओ बेटा क्या मै तुम्हारे लिए कुछ और कर सकता हूँ?"
यह सुन पप्पू बोला, "हाँ अब मेरे साथ भाग बुढ्ढे वरना तू भी पिटेगा अगर मकान का मालिक बाहर आ गया तो।"
17. शनि की महादशा - Hasya Kahani
हकीरा गाँव से पहली बार शहर आता है और देखता है की एक पंडित जी सड़क के किनारे बैठ के भविष्य बता रहे हैं . हकीरा ने सोचा चलो मैं भी दिखा लूँ ..
पंडित जी हकीरा को आते देख कर सोच चलो इसको चुना लगाते है .
हकीरा का हाँथ देख कर पंडित जी चिल्ला उठे - यजमान ! घोर अनर्थ !! राम राम राम !! शनि की महादशा में केतु की अन्तर्दशा ! राहु तिरछी निगाह से सूर्य को देख रहा है . और मंगल स्वग्रही होकर वक्री बनकर चल रहा है .. अरे अरे अरे !!! चन्द्रमा पर तो ग्रहण लगा हुआ है … और ये क्या … बुद्ध तो क्रुद्ध हो के बैठा है … राम ही बचाए आपको .. सूर्य की डिग्री तो बहुत मध्यम है साथ में शनि की साढ़े साती … च च च … और आपका मीन राशि , इस बरस है महा विनाशी हैं महा विनाशी …
पंडित जी टेप रिकॉर्ड की तरह बजते रहे … जितना भी उनको ज्योतिष का ज्ञान था या नहीं था .. सब कुछ उधेल कर रख दिए .. सोचा ये क्लाइंट तो जरूर फंसेगा ..
हकीरा (रुआंसा होके ) - पंडित जी महाराज ! ऐसा ना कहे … कोई तो उपाय होगा .. दया करे .. कुछ कृपा करे ..
पंडित जी - वैसे तो तुम्हारा कुछ हो नहीं सकता .. हाँ ग्यारह सौ एक रूपये निकालो .. एक पूजा करा देते हैं ..सब ठीक हो जाएगा .
हकीरा (रुआंसा होके ) - पंडित जी महाराज ! भगवान् कसम मेरे पास ग्यारह सौ रूपये नहीं हैं
पंडित जी (अपनी पालथी एडजस्ट करके ) - एक बार और हाँथ देना … (हाँथ देख कर ) .. अहा ! लगता हैं चन्द्रमा पर से ग्रहण उतर रहा हैं … एक काम करो पांच सौ एक रूपये निकालो .. एक पूजा करा देते हैं ..सब ठीक हो जाएगा .
हकीरा - पंडित जी महाराज ! भगवान् कसम मेरे पास पांच सौ रूपये नहीं हैं …
पंडित जी को लगा क्लाइंट भाग ना जाए , इतना लालच ठीक नहीं .
पंडित जी - एक बार और हाँथ देना ज़रा .. एक दो चीज़ छुट गयी है … (हाँथ देख कर ) .. लगता हैं सूर्य की डिग्री कुछ बढ़ गयी है और हाँ मीन राशि तो इस साल ठीक जाने वाला है … एक काम करो एक सौ एक रूपये निकालो .. एक पूजा करा देते हैं ..सब ठीक हो जाएगा .
हकीरा - पंडित जी महाराज ! भगवान् कसम मेरे पास सौ रूपये भी नहीं हैं …
पंडित जी - हद्द है यजमान ! लाईये हाँथ लाईये .. (गुस्से से हाँथ देखकर ) … सब ठीक लग रहा है बस ये राहु केतु और शनि का लफड़ा है … चलो भाई … तुम भी क्या याद करोगे निकालो ग्यारह रूपये … एक पूजा करा देते हैं ..सब ठीक हो जाएगा .
हकीरा (दयनीय मुंह बना के ) - पंडित जी महाराज ! भगवान् कसम मेरे पास ग्यारह रूपये भी नहीं हैं …
पंडित जी आग बबूला हो उठे चिल्ला के बोला - अरे आदमी हो की पायजामा का नाडा ! लाओ हाँथ दो .. चलो छोड़ो (हाँथ झटक कर) … शनि का तो कुछ करना ही होगा … अब इससे कम क्या होगा … सवा रूपये निकालो … एक पूजा करा देते हैं ..सब ठीक हो जाएगा .
हकीरा - पंडित जी ! भगवान् कसम मेरे सवा रूपये भी नहीं हैं …
पंडित जी - सवा रूपये भी नहीं हैं ??
हकीरा - नहीं …
पंडित जी (अपना आसन सही करते है, पीछे जाके टेक ले लेते हैं … ) - जाओ वत्स जाओ ... होने दो शनि का प्रवेश … जिस आदमी के पास सवा रूपये भी नहीं है मैं भी देखता हूँ उसका शनि क्या बीगाड लेता है … होने दो शनि का प्रवेश (हाँथ लहराते हुए ) होने दो शनि का प्रवेश …
18. रेलवे इंटरव्यू -Hasya Kahani
मोहन रेलवे गार्ड की भर्ती में गया और रिटेन इक्जाम पास करके इंटरव्यू राउंड में पहुच गया ..
इंटरव्यू के दिन वो तैयार होके पंहुचा .
इंटरव्यूवर - मानलो तुम स्टेशन के गार्ड हो और तुम देखते हो की दो ट्रेने एक ही पटरी पर हैं और तेज़ी से एक दुसरे की ओर बढ़ी जा रही हैं … तुमको पता है की अगर कुछ नहीं किया गया तो एक तेज़ टक्कर हो जायेगी …ऐसी स्थिति में तुम क्या करोगे ?
मोहन - मैं लाल झंडा लहराऊंगा ..
इंटरव्यूवर - मानलो तुम्हारे पास लाल झंडा नहीं है. तब ?
मोहन - नो प्रॉब्लम … मैं हमेशा लाल रंग की चड्डी पहनता हु … तो .. मैं उसे लहरा सकता हु .. समझ रहे हैं ना सर ?
इंटरव्यूवर - पर रात का वक़्त हो तो ?
मोहन - नो प्रॉब्लम … मैं हमेशा लाल और हरे रंग का जलने वाला टोर्च अपने पास रखता हूँ … तो .. मैं उसे जला दूंगा ..
इंटरव्यूवर - अगर बारिश हो रही हो और टोर्च की सेल भींग गयी हो तो .
मोहन - ऐसी स्थिति में सर .. .. मैं दौड़ के अपने भाई सोहन को बुला के लाऊंगा …
इंटरव्यूवर - क्यू वो क्या कर लेगा ?
मोहन - वो कर तो कुछ नहीं पायेगा …
इंटरव्यूवर - तो?
मोहन - मैं कहूँगा देख ले भाई देख ले !! ऐसा भयंकर ट्रेन एक्सीडेंट देखने का मौका फिर नहीं मिलेगा …
इंटरव्यूवर खड़ा होकर - भाग यहाँ से !!!
19. दुनिया गोल है - Hasya Kahani
बॉस (सेक्रेटरी से): तुम और मैं एक हफ्ते के लिए लंदन जा रहे हैं। ज़रूरी मीटिंग है।
सेक्रेटरी (पति से): ऑफिस के काम से मुझे बॉस के साथ एक हफ्ते के लिए लंदन जाना है। जरूरी मीटिंग है।
पति (अपनी गर्लफ्रेंड से, जो एक टीचर है): मेरी बीवी एक हफ्ते के लिए बाहर जा रही है। उसके जाते ही तुम घर आ जाना।
गर्लफ्रेंड (स्टूडेंट्स से): बच्चो, मैं एक हफ्ते के लिए बाहर जा रही हूं, इसलिए तुम्हारी एक हफ्ते की छुट्टी।
एक स्टूडेंट (अपने पिता से, जो कि बॉस है): डैड, मेरी एक हफ्ते की छुट्टी है। मैं घर आ रहा हूं, आप कहीं मत जाना।
बॉस (सेक्रेटरी से): मेरा बेटा आ रहा है। लंदन जाना कैंसल।
सेक्रेटरी (पति से): लंदन जाना कैंसल हो गया।
पति (गर्लफ्रेंड से, जो कि टीचर है): पत्नी नहीं जा रही। हमारा प्रोग्राम कैंसल।
टीचर (स्टूडेंट्स से): बच्चो, आपकी छुट्टियां कैंसल।
स्टूडेंट (पिता से, जो कि बॉस है): पापा, मैं नहीं आ सकता। छुट्टियां कैंसल हो गईं।
20. पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट -Hasya Kahani
एक दिन दफ्तर से घर आते हुए पुरानी गर्ल फ्रेंड से भेट हो गयी;
और जो बीवी से मिलने की जल्दी थी वह ज़रा से लेट हो गयी;
जाते ही बीवी ने आँखे दिखाई - आदतानुसार हम पर चिल्लाई;
तुम क्या समझते हो मुझे नहीं है किसी बात का इल्म;
जरुर देख रहे होगे तुम सक्रेटरी के साथ कोई फिल्म;
मैंने कहा - अरी पगली, घर आते हे ऐसे झिडकियां मत दिया कर;
कभी तो छोड़ दे, मुझ बेचारे पर इस तरह शक मत किया कर;
पत्नी फिर तेज होकर बोली - मुझे बेवकूफ बना रहे हो;
6 बजे दफ्तर बंद होता है और तुम 10 बजे आ रहे हो;
मैंने कहा अब छोड़ यह धुन - मेरी बात ज़रा ध्यान से सुन;
एक आदमी का एक हज़ार का नोट खो गया था;
और वह उसे ढूंढने के जिद्द पर अड़ा था;
पत्नी बोली, तो तुम उसकी मदद कर रहे थे;
मैंने कहा , नहीं रे पगली मै ही तो उस पर खड़ा था;
सुनते ही पत्नी हो गयी लोट-पोट;
और बोली कहाँ है वह हज़ार का नोट;
मैंने कहा बाकी तो खर्च हो गया यह लो सौ रुपये;
वह बोली क्या सब खा गए बाकी के 900 कहाँ गए;
मैंने कहा : असल में जब उस नोट के ऊपर मै खडा था;
तो एक लडकी की निगाह में उसी वक़्त मेरा पैर पडा था;
कही वह कुछ बक ना दे इसलिए वह लडकी मनानी पडी;
उसे उसी के पसंद के पिक्चर हाल में फिल्म दिखानी पडी;
फिर उसे एक बढ़िया से रेस्टोरेन्ट में खाना खिलाना पड़ा;
और फिर उसे अपनी बाइक से घर भी छोड़कर आना पड़ा;
तब कहीं जाकर तुम्हारे लिए सौ रुपये बचा पाया हूँ;
यूँ समझो जानू तुम्हारे लिए पानी पुरी का इंतजाम कर लाया हूँ;
अब तो बीवी रजामंद थी - क्यूंकि पानी पुरी उसे बेहद पसंद थी;
तुरंत मुस्कुराकर बोली : मै भी कितनी पागल हूँ इतनी देर से ऐसे ही बक बक किये जा रही थी;
सच में आप मेरा कितना ख़याल रखते है और मै हूँ कि आप पर शक किये जा रही थी!
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