Kauwa ki kahani 
गर्मियों के दिन थे। एक कौवा बहुत प्यासा था। उसका गला सूख रहा था। वह इधर-उधर फिरता हुआ पानी की तलाश कर रहा था। पर उसे कहीं भी पानी नहीं दिखाई दिया। सभी जलाशय सूख गए थे। अंत में कौवे को एक मकान के पास एक घड़ा दिखाई दिया। वह घर के पास गया। उसने उस में झांक कर देखा। घड़े में थोड़ा सा पानी था। पर उसकी चोंच पानीी तक नहीं पहुंच रही थी। अचानक उसेेे एक उपाय सूझा। वह जमीन से एक-एक कंकड़ उठाकर घडें में डालने लगा। धीरे धीरे घड़े का पानी ऊपर आने लगा ।अब कौवे की चोंच पानी पहुंच सकती थी। कौवे ने जी भरकर पानी पीया और खुशी कांव -कांव करता हुआ उड़ गया। . *चालाक लोमड़ी -।
एक दिन एक कौवे ने एक बच्चे के हाथ से एक रोटी छीन ली। उसके बाद वह उड़कर पेड़ की ऊंची डाली पर जा बैठा और रोटी खाने लगा । एक लोमड़ी ने उसे देखा तो उसके मुंह मेंंंं पानी भर आया। वह पेड़ के नीचे जा पहुंची। उसने कौवे की ओर देखकर कहां कौवे राजा, नमस्ते। आप अच्छे तो हैं? कव्वे ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर लोमड़ी ने उससेे कहा, कौवे राजा, आप बहुत सुंदर एवंं चमकदार लग रहे हैं। यदि आपकी वाणी भी मधुर है, तो आप पक्षियों के राजा बन जाएंगे। जरा मुझे अपनी आवाज तो सुनाइए। मूर्ख कौवे ने सोचा, मैंं सचमुच पक्षियोंं का राजा हूं। मुझे यह सििदध कर देना चाहिए। उसने ज्यो ही गाने के लिए अपनी चोंच खोली रोटी चोोंच से छूट कर नीचे आ गिरी। लोमड़ी रोटी उठाकर फौरन भाग गई। शिक्षा- झूठी तारीफ करने वालों से सावधान रहना चाहिए। *अंगूर खट्टे हैं -।
एक दिन एक भूखी लोमड़ी अंगूर के बगीचे में जा पहुंची बेलों पर पके हुए अंगूर के गुच्छे लटक रहेे थे। यह देख लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया। मुंह को ऊपर की ओर तानकर उसने अंगूर पाने की कोशिश की। पर वह सफल नहीं हो सकी। अंगूर काफी ऊंचाई पर थे। उन्हें पानेेे के लिए लोमड़ी खूब उछली, फिर भी वह अंगूर तक नहींं पहुंच सकी। जब तक वह पूरी तरह थक नहीं गई, उछलती ही रही । आखिरकार थककर उसनेे उम्मीद छोड़ दी, और वहां से चलती बनी। जाते-जाते उसने कहा- "अंगूर खट्टे हैं। ऐसे खट्टे अंगूर कौन खाए?,"। शिक्षा - हार मानने में क्या हर्ज है।

गर्मियों के दिन थे। एक कौवा बहुत प्यासा था। उसका गला सूख रहा था। वह इधर-उधर फिरता हुआ पानी की तलाश कर रहा था। पर उसे कहीं भी पानी नहीं दिखाई दिया। सभी जलाशय सूख गए थे। अंत में कौवे को एक मकान के पास एक घड़ा दिखाई दिया। वह घर के पास गया। उसने उस में झांक कर देखा। घड़े में थोड़ा सा पानी था। पर उसकी चोंच पानीी तक नहीं पहुंच रही थी। अचानक उसेेे एक उपाय सूझा। वह जमीन से एक-एक कंकड़ उठाकर घडें में डालने लगा। धीरे धीरे घड़े का पानी ऊपर आने लगा ।अब कौवे की चोंच पानी पहुंच सकती थी। कौवे ने जी भरकर पानी पीया और खुशी कांव -कांव करता हुआ उड़ गया। . *चालाक लोमड़ी -।
एक दिन एक कौवे ने एक बच्चे के हाथ से एक रोटी छीन ली। उसके बाद वह उड़कर पेड़ की ऊंची डाली पर जा बैठा और रोटी खाने लगा । एक लोमड़ी ने उसे देखा तो उसके मुंह मेंंंं पानी भर आया। वह पेड़ के नीचे जा पहुंची। उसने कौवे की ओर देखकर कहां कौवे राजा, नमस्ते। आप अच्छे तो हैं? कव्वे ने कोई जवाब नहीं दिया। फिर लोमड़ी ने उससेे कहा, कौवे राजा, आप बहुत सुंदर एवंं चमकदार लग रहे हैं। यदि आपकी वाणी भी मधुर है, तो आप पक्षियों के राजा बन जाएंगे। जरा मुझे अपनी आवाज तो सुनाइए। मूर्ख कौवे ने सोचा, मैंं सचमुच पक्षियोंं का राजा हूं। मुझे यह सििदध कर देना चाहिए। उसने ज्यो ही गाने के लिए अपनी चोंच खोली रोटी चोोंच से छूट कर नीचे आ गिरी। लोमड़ी रोटी उठाकर फौरन भाग गई। शिक्षा- झूठी तारीफ करने वालों से सावधान रहना चाहिए। *अंगूर खट्टे हैं -।
एक दिन एक भूखी लोमड़ी अंगूर के बगीचे में जा पहुंची बेलों पर पके हुए अंगूर के गुच्छे लटक रहेे थे। यह देख लोमड़ी के मुंह में पानी आ गया। मुंह को ऊपर की ओर तानकर उसने अंगूर पाने की कोशिश की। पर वह सफल नहीं हो सकी। अंगूर काफी ऊंचाई पर थे। उन्हें पानेेे के लिए लोमड़ी खूब उछली, फिर भी वह अंगूर तक नहींं पहुंच सकी। जब तक वह पूरी तरह थक नहीं गई, उछलती ही रही । आखिरकार थककर उसनेे उम्मीद छोड़ दी, और वहां से चलती बनी। जाते-जाते उसने कहा- "अंगूर खट्टे हैं। ऐसे खट्टे अंगूर कौन खाए?,"। शिक्षा - हार मानने में क्या हर्ज है।
1 Comments
NICE STORY
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